Aatmatran with meaning
विपदाओं (मुसीबतों, विपत्तियों ) से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो ; करुणामय (दूसरों पर दया करनेवाले, प्रभु) -
कभी न विपदा में पाऊँ भय।
दुःख-ताप (कष्ट की पीड़ा)से व्यथित(अशांत, दुःखी) चित्त (हृदय) को न दो सांत्वना (हिम्मत बंधाना) नहीं सही
पर इतना होवे; करुणामय-
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय।
कोई कहीं सहायक (सहायता करनेवाला) न मिले
तो अपना बल पौरुष (पराक्रम) न हिले-
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना(धोखा) रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय(नाश)।।
मेरा त्राण(मुक्ति) करो अनुदिन(प्रत्येक दिन) तुम यह मेरी प्रार्थना नहीं
बस इतना होवे; करुणायम-
तरने की हो शक्ति अनामय। (पार पाने का असीम सामर्थ्य हो)
मेरा भार अगर लघु (कम) करके न दो सांत्वना(हिम्मत बँधाना) नहीं सही।
केवल इतना रखना अनुनय(कृपा) -
वहन(निभा) कर सकूँ इसको निर्भय(बिना किसी डर के) ।
नत शिर (सिर झुकाकर) होकर सुख के दिन में
तव(तुम्हारा) मुख पहचानूँ छिन-छिन(प्रत्येक क्षण) में।
दुःख-रात्रि (दुःख से भरा समय/ रात) में करे वंचना (धोखा) मेरी जिस दिन निखिल(सम्पूर्ण) मही(धरती)
उस दिन ऐसा हो करुणामय,
तुम पर करूँ नहीं कुछ संशय(सन्देह) ।।
अनुवाद : हजारीप्रसाद द्विवेदी
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आभार: एनसीइआरटी (NCERT) Sparsh Part-2 for Class 10 CBSE