भगवान के डाकिये
भगवान के डाकिये पक्षी और बादल ये भगवान के डाकिये
हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को
जाते हैं। हम तो समझ नहीं
पाते हैं मगर उनकी लाई
चिट्ठियाँ पेड़, पौधे,
पानी और पहाड़ बाँचते हैं। हम तो केवल यह
आँकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध
भेजती है। और वह सौरभ हवा में
तैरते हुए पक्षियों की पाँखों
पर तिरता है और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है। |
सरलार्थ: जिस प्रकार से डाकिया चिट्ठियों के माध्यम से संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने का कार्य करता है उसी प्रकार से प्रकृति पक्षी और बादलों के माध्यम से अपना संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजती है। पक्षी और बादल जिन संदेशों को लेकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं वे संदेश उस स्थान पर स्थित पेड़, पौधे,पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। हम देखते हैं कि पक्षी प्रकृति के संरक्षण का कार्य करते हैं| वे बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर उस स्थान को हरा-भरा बनाने में अपना योगदान देते हैं और अपनी उपस्थिति और मधुर आवाज से उस स्थान की सुदंरता बढ़ाते हैं। इसी प्रकार बादल भी एक स्थान का पानी दूसरे स्थान पर लेकर जाते हैं और बरसाते हैं। इनसे उस पानी को पाकर दूसरे स्थान के पेड़, पौधे, पहाड़ हरे-भरे हो जाते हैं। इस प्रकार हम पाते हैं कि प्रकृति में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं
है। प्रकृति सभी के साथ समान व्यवहार करती है। एक स्थान की धरती दूसरे स्थान की
धरती को अपने सन्देश में प्रेम,सहयोग, सद्भावना भेजती है। यही सन्देश पक्षी और बादलों के माध्यम से एक
स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है। |
मुख्य बिंदु :- 1. कवि ने पक्षी और बादलों को भगवान के डाकिए कहा है। 2. जिस प्रकार से मनुष्य के लिए डाकिया संदशों को पहुँचाने का कार्य करता है, उसी प्रकार से पक्षी और बादल भी प्रकृति के संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य करते हैं। 3. मनुष्य जीवन की तरह प्रकृति में भेदभाव नहीं होता। एक देश में पानी भाप बनकर उड़ता है और दूसरे देश में बरस जाता है। 4. प्रकृति के संदेश में प्रेम, सद्भाव और एकता का भाव छुपा हुआ है। |
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