ड, ढ, ड़, ढ़ का प्रयोग व उच्चारण

,   ,   ड़,   ढ़ का प्रयोग व उच्चारण

·     ड और ढ वर्णमाला के ट वर्ग में तीसरे व चौथे वर्ण हैं।
·     ड़ और ढ़ वर्ण अरबी-फारसी भाषा के प्रभाव से आए हैं।
·    ड और ढ का उच्चारण मुख में जिस स्थान से होता है वह मूर्धा कहलाता है। इस स्थान से उच्चरित होने के कारण  इन्हें मूर्धन्य कहा जाता है।
·    ड़ और ढ़ को उक्षिप्तवर्ण कहा जाता है। उक्षिप्त का अर्थ होता है -फेंका गया। इनके उच्चारण में मुख से निकलनेवाली हवा के साथ जीभ का प्रयोग कुछ झटके के साथ होता है।
·      किसी भी शब्द के प्रारंभ में ड़ या ढ़ वर्ण का प्रयोग नहीं होता है। डाल, ढाल, ढाई, अढ़ाई आदि।

उदाहरण :-
ड के उदाहरण - डाल, डलिया, डकार, डमरु आदि।
ढ के उदाहरण-ढाल, ढक्कन, ढूँढना, ढाई, ढोलक आदि।
ड़  के उदाहरण -लड़का, खड़ा, लड़ाई, पड़ा, गड़ा आदि।
ढ़ के उदाहरण - चढ़ाई, पढ़ाई, कढ़ाई, गाढ़ा आदि।


 देखें :-
मुख के उच्चारण स्थान