तोप

TOP
-  वीरेन डंगवाल 

           







कंपनी बाग के मुहाने (मुख्य दरवाजे) पर
धर (लाकर) रखी गई है यह 1857 की तोप
इसकी होती है बड़ी सम्हाल (देखभाल), विरासत(उत्तराधिकार) में मिले
कम्पनी बाग की तरह
साल में चमकाई जाती है दो बार (15 अगस्त और 26 जनवरी को)
सुबह-शाम कंपनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी (पर्यटक)
उन्हें बताती है यह तोप
कि मैं बड़ी जबर (शक्तिशाली)
उड़ा दिए थे मैंने
अच्छे-अच्छे सूरमाओं (वीरों) के धज्जे (टुकड़े-टुकड़े करना)
अपने ज़माने में (अपने उस समय में जब मुझे काम में लिया जाता था)
अब तो बहरहाल (जिस स्थिति में हूँ उसमें)
छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फारिग (मुक्त) हो
तो उसके ऊपर बैठकर
चिडि़याँ ही अकसर करती हैं गपशप (चिडि़याँ ही चहचहाती हैं)
कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं
खास कर गौरैयें
वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप
(अत्याचार करनेवाले के अर्थ में तोप का प्रयोग किया गया है)
एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद (एक दिन उसका अंत हो ही जाता है)


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 आभार: एनसीइआरटी (NCERT) Sparsh Part-2 for Class 10 CBSE