VIRAM CHIHAN
* विराम का अर्थ है - रूकना और चिह्न यानि निशान। अर्थात् जो चिह्न हमें रूकने का संकेत दे वह विराम-चिहन है।*
लिखित रूप में जब हम अपने विचारों और भावों को व्यक्त करते हैं तो उनमें स्पष्टता लाने के लिए विराम-चिह्नों का प्रयोग करते हैं।
जैसे:-
वहाँ रूको मत मुड़ो (अस्पष्ट विचार /भाव)
उपर्युक्त वाक्य में विभिन्न स्थानों पर विराम चिह्नों का प्रयोग करने पर अर्थ बदल जाता है।
जैसे:-
वहाँ रूको मत, मुडो । ( यहाँ रूकने से रोका जा रहा है और मुड़ने के लिए कहा जा रहा है।)
वहाँ रूको, मत मुड़ो। ( यहाँ रूकने के लिए कहा जा रहा है और मुड़ने के लिए मना किया जा रहा है।)
इसलिए विराम-चिह्नों का प्रयोग वाक्य के विन्यास और उसमें निहित भावों को सुस्पष्ट कर देता है।
हिन्दी में प्रमुख रूप से प्रचलित विराम चिह्न इस प्रकार हैं :-
1. पूर्ण विराम :- ।
नियम - पूर्ण विराम चिह्न (। ) वाक्य के अंत में लगाया जाता है। इसे खड़ी पाई भी कहा जाता है। वाक्य प्रश्नवाचक नहीं होना चाहिए। प्रश्नवाचक व विस्मयादि चिह्नों के स्थानों को छोड़कर समस्त वाक्यों के अन्त में इसका प्रयोग होता है। ।
प्रयोग उदाहरण:-
(क) आज स्कूल में गाँधी जयन्ती मनाई गई।
(ख) मेहनत करोगे तो अच्छे अंक आएँगे।
2. प्रश्नसूचक चिह्न :- ?
नियम - जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जा रहा हो उस वाक्य के अंत में लगाया जाता है। यदि एक वाक्य में बहुत से उपवाक्य प्रश्नवाचक हों तब भी वाक्य के पूर्णतः समाप्त होने पर ही प्रश्नसूचक चिह्न ( ? ) का प्रयोग होगा।
प्रयोग उदाहरण:-
1. क्या आज स्कूल में गाँधी जयन्ती मनाई गई ?
2. मेहनत करोगे तो क्या अच्छे अंक नहीं आएँगे ?
3. तुमने फोन क्यों किया था, क्या जानना चाहते थे और इस समय आने का उद्देश्य ?
4. तुम कहाँ से आए, कैसे आए और अब कहाँ जा रहे हो ?
3. विस्मयादि बोधक / सम्बन्धसूचक चिह्न :- !
नियम - विस्मय, हर्ष, शोक, दुःख, घृणा, प्रार्थना, भय, सम्बोधन आदि भावों को प्रकट करने के लिए जिन शब्दों का वाक्य में प्रयोग किया जाता है, उनके आगे इस चिह्न को लिखा जाता है।
प्रयोग उदाहरण:-
1. अरे! तुम कब आए ? (विस्मय / आश्चर्य)
2. हे प्रभु ! देश में से भ्रष्टाचार कब समाप्त होगा ? (प्रार्थना)
3. दुष्ट ! पापी ! हत्यारे ! तुम अब बचकर नहीं जा सकोगे। (घृणा)
4. हाय ! फूल-सी बच्ची को ग्रसने कितना बड़ा तिमिर आया है। (दुःख)
5. सिपाहियो ! आज माटी का कर्ज चुकाने का समय आ गया है। (संबोधन)
4. अल्प विराम चिह्न :- ,
नियम:- अल्प यानि थोड़ा । यह चिह्न विराम चिह्न की अपेक्षा कम समय के लिए रूकने को इंगित करता है।
निम्न स्थानों पर अल्प विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
प्रयोग उदाहरण :-
(क) जहाँ वाक्य में थोड़ा रूकना हो -
तुम बहुत शरारती हो, न खुद शांत बैठते हो और न ही दूसरों को बैठने देते हो।
(ख) वाक्य में जब एक ही प्रकार के दो से अधिक शब्दों का प्रयोग किया जाए -
सुभाष के आह्वान पर देशवासी तन, मन, धन, अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए तैयार थे।
(ग) उपवाक्य या उपवाक्यों को अलग करने के लिए -
जब सही समय पर रवाना होंगे, तभी तो समय पर पहुँचेगे।
(घ) सम्बोधन में नाम के बाद -
मनीष, तुम अपनी फाइल ले जाओ।
(ड.) उद्धरण चिह्न के प्रारंभ होने से पहले -
डाक्टर साहब ने कहा था, ‘‘ यदि दवा समय पर नहीं ली तो बुखार नहीं उतरेगा।’’
(च) दिनांक, माह आदि समय को बताने वाले शब्दों को अलग करने के लिए दिनांक के साथ मास का नाम लिखने के बाद-
2 अक्टूबर, 1869 पोरबन्दर में गाँधीजी का जन्म हुआ था।
(छ) समुच्चयबोधक अव्यय (पर, परन्तु, किन्तु, क्योंकि, बल्कि, इसलिए, फिर, लेकिन आदि) से पहले-
वह आया था, पर मैं मिल नहीं सका।
(ज) हाँ या नहीं से प्रारम्भ होने वाले वाक्य में हाँ/ नहीं के बाद
हाँ, तुम ठीक कहते हो।
(झ) कि के स्थान पर
शिक्षक ने कहा, (कि) ‘‘ कल स्वच्छता दिवस मनाया जाएगा।’’
5. उद्धरण चिह्न :- यह दो प्रकार के होते हैं। (क) एकल उद्धरण चिह्न:- ‘ --- ’ (ख) दोहरा उद्धरण चिह्न:- ‘‘ --- ’’
नियम :-
(क) एकल उद्धरण चिह्न ( ‘ --- ’ ) का प्रयोग वाक्य में पुस्तक, समाचार -पत्र, साहित्यकार के उपनाम, शीर्षक आदि का नाम लिखने में किया जाता है।
जैसे - 1. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने ‘सरोज-स्मृति’ नामक ‘शोकगीत’ की रचना की थी। इसका सर्वप्रथम प्रकाशन ‘द्वितीय अनामिका’ के प्रथम संस्करण में हुआ था।
(‘निराला’ - उपनाम है, ‘सरोज-स्मृति’ कविता का शीर्षक है, ‘द्वितीय अनामिका’ पत्रिका का नाम है।)
(ख) किसी वक्ता या सहित्यकार के कथन को ज्यों का त्यों लिखे जाने पर उसके लिए दोहरा उद्धरण चिह्न ( ‘‘ --- ’’) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे - बापू ने कहा था, ‘‘ अहिंसा ही परम धर्म है। ’’