परिचय -
घ:- हिन्दी वर्णमाला के व्यंजनों में ‘क’ वर्ग का चतुर्थ वर्ण है। इसका प्रयोग हम घर, घड़ी, घाव आदि में करते हैं।
ध:- हिन्दी वर्णमाला के व्यंजनों में 29 वाँ और ‘त’ वर्ग का चतुर्थ वर्ण है। इसका प्रयोग बन्धन, सम्बन्ध, धड़कन, धनुष आदि में करते हैं।
बनावट -
1. ‘घ’ लिखते समय शिरोरेखा पूरी खींची जाती है और ‘ध’ लिखते समय शिरोरखा का कुछ अंश नहीं आता है।
2. लिखते समय आकृति में इस प्रकार का अंतर भी होता है ..... >
उच्चारण:-
- ‘घ’ का उच्चारण कंठ से होता है। इसे जिह्वामूल
स्थान (जीभ की जड़ का स्थान) भी कहा जाता है। समझने के लिए अंग्रेजी़ में इसे 'Gh' के उच्चारण से समझा जा सकता है।
- ‘ध’ का उच्चारण दंतमूल (दाँतों की जड़) से किया जाता है। इसका उच्चारण करते समय जिह्वा (जीभ) दाँतो के मूल(जड़) से टकराती है। समझने के लिए अंग्रेजी़ में इसे 'Dh' के उच्चारण से समझा जा सकता है।
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