जैसे:-
विद्यालय में दो शब्द है
विद्या एवं आलय ।
- ‘विद्या’ का अर्थ होता है ‘ज्ञान’ और ‘आलय’ का ‘घर’।
- यहाँ दोनों मिलकर नया
अर्थ ‘विद्या का घर’ दे रहे हैं।
सामासिक पद:- दो पदों के
मिलने से बनने वाला शब्द ‘सामासिक पद’ कहलाता है। यहाँ ‘विद्यालय’ सामासिक पद है।
विग्रह :- सामासिक पद में
से दोनों पदों को अलग-अलग करके आपसी संबंध बताते हुए लिखना, ‘विग्रह’ कहलाता है। ‘विद्या का घर’ समास का विग्रह है।
भेद : समास के छः भेद हैं –
1. अव्ययीभाव
समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुव्रीहि समास
1- अव्ययीभाव समास
पूरा पद अव्यय
(अपरिवर्तनशील) होता है ।
(क) ‘यथा’ से प्रारंभ होने वाले-
जैसे -
यथासंभव - संभावना के अनुसार
यथासमय - समय के
अनुसार
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार।
(ख) ‘प्रति’ से शुरू होने वाले -
जैसे -
प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
प्रतिमाह - प्रत्येक माह
प्रतिवर्ष - प्रत्येक वर्ष
(ग) दोहराव वाले शब्द-
जैसे -
घर-घर - हर /प्रत्येक घर
रातोंरात - रात ही रात में
दिनोंदिन - प्रत्येक दिन
गाँव-गाँव - हर / प्रत्येक गाँव
(घ) ‘आ’ से शुरू हाने वाले -
जैसे -
आमरण - मरण तक
आजीवन - जीवन तक
2- तत्पुरुष समास
(क) दूसरे शब्द का महत्व होता है ।
(ख) दोनों के बीच कारक-चिह्न होता है
जैसे -
जेबकतरा - जेब काटने वाला
भुखमरा - भूख से मरा
सेनापति - सेना का पति
हस्तलिखित- हस्त
से लिखित
सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह
भयभीत - भय से भीत
शरणागत - शरण में आगत
स्वर्गगत - स्वर्ग को गत
3- कर्मधारय समास
(क) पहला पद विशेषण और
दूसरा विशेष्य होता है।
या
(ख) दोंनों पदों में किसी
की किसी से तुलना की जाती है।
जैसे -
नीलकमल - नीला है जो कमल
महात्मा - महान है जो आत्मा
हंसमुख - हंसता हुआ है जो मुख
महापुरुष - महान है जो पुरुष
प्रधानाध्यापक- प्रधान
है जो अध्यापक
चंद्रमुख - चंद्रमा के समान मुख
कमलनयन- कमल के समान नयन
क्रोधाग्नि - क्रोध रूपी अग्नि
मृगलोचन - मृग के समान लोचन
वचनामृत - वचन रुपी अमृत
4- द्विगु समास
पहला शब्द कोई संख्या
को बताता हो -
जैसे -
द्विगु - दो गायों संबंधी / दो गायों का समाहार
त्रिकोण - तीन कोणों का समाहार
चवन्नी - चार आनों का समाहार
पंचामृत - पाँच अमृतों का समाहार
सप्तर्षि - सात
ऋषियों का समाहार
अष्टाध्याय - आठ अध्यायों का समाहार
नवरत्न - नौ
रत्नों का समाहार
दशानन - दस
आननों का समाहार ।
5- द्वंद्व समास
(क) दोनों पद महत्वपूर्ण
(ख) दोनों के बीच में अधिकतर योजक का प्रयोग
जैसे -
सुख-दुःख - सुख
और दुःख
लव-कुश - लव
और कुश
दाल-चावल- दाल और चावल
जीवन-मृत्यु- जीवन और मृत्यु
भीमार्जुन - भीम
और अर्जुन
6- बहुव्रीहि समास
जो शब्द किसी विशेष वस्तु
या व्यक्ति के लिए प्रसिद्ध हों
जैसे -
गजानन - गज
के समान आनन है जिसका अर्थात् गणेश
आशुतोष - जो
थोड़े में संतुष्ट हो जाता है अर्थात् शिव
घनश्याम - घन
के समान श्याम है जो अर्थात् कृष्ण
वीणापाणि- वीणा है जिसके (पाणि) हाथ में अर्थात् सरस्वती
चतुर्भुज - चार
है भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु
दशानन - दस
हैं आनन जिसके अर्थात् रावण
बारहसिंहा(बारहसिंगा) - बारह सींग हैं जिसके अर्थात् एक विशेष पशु
* यह आना चाहिए *
समस्त पद बनाना, विग्रह करना, दोनों ही स्थितियों में भेद बताना ।
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