Prashanottar : Everest Meri Shikhar
Yatra
प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
प्रश्न 1 :- अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर 1 :- उपनेता प्रेमचन्द्र अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे थे।
प्रश्न 2 :- लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
उत्तर 2 :- नमचे
बाजार पहुँचकर जब लेखिका ने एवरेस्ट को पहली बार देखा और नेपाली लोगों के मुँह से
इसका नाम ‘सागरमाथा’ सुना तो उन्हें यह नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर तक फैले इसके
मैदानी क्षेत्रों में यह माथे (मस्तक) की तरह ऊँचा है।
प्रश्न 3 :- लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर 3 :- नमचे
बाजार पहुँचकर लेखिका ने एवरेस्ट के शिखर के पास तेज हवा के प्रभाव से बर्फ़ के
उड़ते बारीक कणों का समूह ‘प्लूम’ (फूल) देखा जो कि ध्वज जैसा लग रहा था।
प्रश्न 4 :- हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
उत्तर 4 :- हिमस्खलन
से एक की कुली की मृत्यु हुई और चार घायल हुए थे।
प्रश्न 5 :- मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर 5 :- इस
अवसर पर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी
मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
प्रश्न 6 :- रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर 6 :- जलवायु
अनुकूल न होने के कारण रसोई सहायक की मृत्यु हुई।
प्रश्न 7 :- कैंप-चार कहाँ
और कब लगाया गया?
उत्तर 7:- कैंप-चार
साउथ कोल पहुँचकर 7900 मीटर की ऊँचाई पर 29 अप्रैल के दिन लगाया गया।
प्रश्न 8 :- लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
उत्तर:- लेखिका ने अपना परिचय देते
हुए कहा कि ‘मैं बहुत ही नौसिखिया हूँ और एवरेस्ट मेरा पहला अभियान है।’
प्रश्न 9 :- लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर:- लेखिका की सफलता पर कर्नल
खुल्लर ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि ‘‘मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए
तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा!’’ इसके अलावा उन्होंने कहा कि
देश को तुमपर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने
पीछे छोडे गए संसार से भिन्न होगा!
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में) लिखिए -
प्रश्न 1 :- नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर :- नमचे बाजार से दिखता
एवरेस्ट का शिखर और उसके पास तेज हवा के प्रभाव से बर्फ़ के उड़ते बारीक कणों
का समूह का ध्वज जैसा लगनेवाला ‘प्लूम’ (फूल) देखकर लेखिका इसके रूप से
आकर्षित थीं और इसकी कठिनतम चुनौतियों का सामना करना चाहती थीं।
प्रश्न 2 :- डाॅ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर :- डाॅ. मीनू मेहता ने
निम्नलिखित जानकारियाँ विस्तार से दीं -
1. अल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों को बनाने के बारे में
बताया
2. लट्ठों और रस्सियों के उपयोग के
बारे में बताया
3. बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधने के बारे में
बताया, और
4. आगे गए दल द्वारा किए गए अभियांत्रिकी कार्यों
के बारे में बताया।
प्रश्न 3 :- तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर:- तेनजिंग ने लेखिका की
तारीफ में कहा कि ‘‘तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले
ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।’’
प्रश्न 4 :- लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर:- लेखिका को अंगदोरजी के साथ
चढ़ाई करनी थी। वे दूसरी बार प्रयास कर रहे थे और इस बार बिना आॅक्सीजन के ही चढ़ना
चाह रहे थे।
प्रश्न 5 :- लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
उत्तर:- लोपसांग ने तंबू का रास्ता
स्विस छुरी की मदद से साफ किया। उन्होंने बर्फ़ के बड़े-बड़े पिंडो का हटाया और कड़े
जमे बर्फ़ की खुदाई की।
प्रश्न 6 :- साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर:- साउथ कोल कैंप पहुँचकर
लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई के लिए आवश्यक खाना, कुकिंग गैस और
आक्सीजन सिलेंडर इकट्ठे किए। चढ़ाईवाले दिन सुबह चार बजे उठ, बर्फ़ पिघलाकर चाय बना
कुछ बिस्कुट और आधी चाकलेट का हल्का नाश्ता लिया और साढ़े पाँच बजे अपने तंबू
से निकल गईं।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए -
प्रश्न 1 :- उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर:- उपनेता प्रेमचंद ने
निम्नलिखित स्थितियों से अवगत कराया -
1. खुम्भु हिमपात की स्थिति के बारे में
2. उनके दल एक ने हिमपात के ऊपर स्थित कैंप एक (6000 मीटर) तक का
रास्ता साफ कर लिया है।
3. पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित कर
मार्ग की सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है।
4. बर्फ़ का गिरना अभी जारी है और हिमपात के अनिश्चित बदलाव के
कारण अभी तक किए गए उपरोक्त कार्य व्यर्थ हो सकते हैं, तब रास्ता खोलने का काम
दुबारा करना पड़ सकता है।
प्रश्न 2 :- हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर:- हिमपात एक तरह से बर्फ़ के
खंडो का अव्यवस्थित रूप से गिरना है। हिमपात से ग्लेशियर बन जाता है। ग्लेशियर एक
प्रकार से बर्फ़ की नदी होती है जिसके बहने से अकसर बर्फ़ में हलचल हो जाती है और
इस प्रभाव से बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। इससे धरातल में
दरार पैदा हो जाती है और यह दरार बहुत गहरी होकर बर्फ़ के गहरे खड्ढे का रूप भी ले
सकती है। इन सबके कारण पर्वतारोहियों के समक्ष प्राणों का संकट खड़ा करनेवाली
अनिश्चित चुनौतियाँ बनी रहती हैं।
प्रश्न 3 :- लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है?
उत्तर:- ल्होत्से ग्लेशियर से
टूटकर बर्फ़ का एक पिंड नीचे की ओर गिरा और बहते हुए बर्फ में हलचल पैदाकर
हिमखण्डों, बर्फ़ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ को समेट कर यह एक्सप्रेस गाड़ी के
समान तेज गति से चलने वाला विशालकाय हिमपुंज बन गया। बहने की भीषण गर्जना के साथ,
सीधी ढलान से नीचे आते हुए इसने लेखिका के कैंपों को तहस-नहस कर दिया। जब लेखिका
के कैंप से गुजरा तो उन्हें सिर से कठोर चीज टकराने का अहसास हुआ और उन्हें महसूस
हुआ जैसे ठंडी, बहुत भारी कोई चीज उनके शरीर पर से कुचलती हुई चल रही है। उन्हें
साँस लेने में कठिनाई हो रही थी। वस्तुतः वे गतिमान हिमपुंज के प्रभाव से बर्फ़
में दब गई थीं।
प्रश्न 4 :- लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर:- लेखिका को जानकारी थी कि
‘की’ और ‘जय’ सामान का भारी बोझ लेकर साउथ कोल कैंप पर आ रहे हैं। वे उनकी मदद
करना चाहती थीं। इसलिए चाय और जूस का थरमस लेकर उनकी सहायता के लिए अकेली नीचे उतर
आईं। ‘की’ के अनुसार ऐसा करना बहुत जोखि़म का कार्य था और जो उन्हें नहीं करना
चाहिए था। उन्हें सहायता देने के लिए लेखिका द्वारा जोखिम उठाने की बात से ‘की’
हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न 5 :- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए
कुल पाँच कैंप बनाए गए। उनका विवरण इस प्रकार है -
कैंप एक:- खुंभु हिमपात से ऊपर
लगभग 6000 मीटर की ऊँचाई पर, जिसे बेस कैंप भी कहा गया।
कैंप दो:- हिमपात के आधे
रास्ते पर।
कैंप तीन:- लहोत्से की बर्फ़ीली
सीधी ढलान पर।
कैंप चार:- करीबन 7900 मीटर की
ऊँचाई पर, साउथ कोल नामक स्थान पर।
कैंप पाँच:- शिखर
कैंप जो कि एवरेस्ट की चोटी के बहुत समीप था। यह अंतिम पड़ाव था। अंगदोरजी रात्रि
यहाँ नहीं बिताना चाहते थे।
प्रश्न 6 :- चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:- जमी हुई बर्फ़ की सीधी व
ढलाऊ सख्त और भुरभुरी चट्टान, बर्फ़ के भुरभुरे कणों के प्रभाव से शून्य दृश्यता,
सपाट और सीधी ढलान, यह ढलान हजारों मीटर लम्बी कि जिस पर एक चूक हो और जीवन
पर संकट आ जाए, शंकु आकार की चोटी जिस पर दो व्यक्ति आराम से खडे़ नहीं हो सकते - इस
प्रकार चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति चुनौतियों से भरी थी।
प्रश्न 7 :- सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर:- ल्होत्से ग्लेशियर की
दुर्घटना में बचेंन्द्री के जीवन की रक्षा करने में सफलता मिल गई थी।
पर अभी भी मौसम अनिश्चित था। ऐसे में अकेले साउथ कोल कैंप से नीचे उतरकर भारी
वजन के साथ चढ़ रहे साथियों की सहायता करना और उनके लिए चाय और जूस लेकर जाना जोखिम
का काम था । बचेंद्री के इस कार्य से उनकी सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता
की भावना का परिचय मिलता है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए -
(क) एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
(छात्रों को ध्यान रखना चाहिए कि इसमें प्रश्न के दो हिस्से हैं। पहले यह बताना है कि एवरेस्ट महान अभियान है दूसरा - अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए)
उत्तर:- चढ़ाई के आरंभ में
हिमस्खलन के कारण एक शेरपा कुली की मृत्यु व चार के घायल होने का समाचार सबको दुखी
करने और उत्साहीन करनेवाला समाचार था। दल के लोगों के चेहरों पर छाए अवसाद (दुःख)
को देखकर कर्नल खुल्लर ने उपरोक्त शब्द कहे। एवरेस्ट धरती की सबसे ऊँची चोटी है।
जिस पर पहुँचना कल्पनातीत(अकल्पनीय) व अ-अनुमानित चुनौतियों एवं खतरों से भरा है।
इसलिए एवरेस्ट पर चढ़ाई विश्व में एक गौरवपूर्ण अभियान है। ऐसे गौरवपूर्ण
अभियान में खतरों का सामना करने से घबराना नहीं चाहिए और मृत्यु को भी सहज भाव से
स्वीकार करना चाहिए।
(ख) सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चैड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रवास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर:- लेखिका के एवरेस्ट अभियान
के दौरान हिमपात हो रहा था। हिमपात से ग्लेशियर बन जाता है। ग्लेशियर एक प्रकार से
बर्फ़ की नदी होती है जिसके प्रभाव से बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टाने तत्काल गिर जाया
करती हैं। इससे धरातल में दरार पैदा हो जाती है और यह दरार बहुत गहरी होकर बर्फ़
के गहरे खड्ढे का रूप ले पर्वतारोहियों के समक्ष प्राणों का संकट खड़ा कर सकती है।
लेखिका के अनुसार इसकी कल्पना भी बहुत डरावनी थी। और, इससे भी ज्यादा भयानक उन्हें
इस बात की जानकारी मिलना था हिमपात सम्पूर्ण अभियान के दौरान बना रहने वाला है और
उन आरोहियों व कुलियों का सामना उसी स्थिति से कभी भी हो सकता है।
(ग) बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपडे़ में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर:- एवरेस्ट शिखर पर पहुँचना
लेखिका के जीवन का अपूर्व आनंद का गौरवपूर्ण क्षण था। दुर्गा माँ का चित्र और
हनुमान चालीसा को लाल कपडे़ में लपेट, पूजा-अर्चना कर बर्फ़ में दबाना उनकी
धार्मिक - भावना को इंगित करता है और माता-पिता का ध्यान आना उनके प्रेम को । वे
इन सबके आशीर्वाद से एवरेस्ट पर पहुँचने में सफल हो सकीं।
भाषा-अध्ययन
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए -
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायजा लेना, नौसिखिया
उत्तर:-
निहारा है - निहारना का अर्थ होता है किसी की सुन्दरता से अभिभूत हो देखना।
नमचे बाजार से पहुँचकर लेखिका ने एवरेस्ट को निहारा था।
धसकना - खड्ढे में बैठना या आसपास के इलाके से नीचे दब जाना। बर्फीले
क्षेत्रों में जमी बर्फ़ हिमपात होने पर गिरी बर्फ का वजन सहन नहीं कर पाती और
अपने स्थान से धसक (हट) जाती है
खिसकना - अपने स्थान से हट जाना। हिमपात होने पर बर्फ खिसकने लगती है और
ग्लेशियर का रूप धारण कर लेती है।
सागरमाथा - नेपाली लोगों द्वारा एवरेस्ट को पुकारने का नाम क्योंकि सागर
तक फैले इसके मैदानी क्षेत्रों में यह माथे (मस्तक) की तरह ऊँचा है।
जायजा लेना - जाँच-पड़ताल करना, जानकारियाँ लेना। पर्वतारोही मौसम व
परिस्थिति का जायजा लेकर ही अपनी आगे की यात्रा आरंभ करते हैं।
नौसिखिया - नया-नया सीखने वाला। तेनजिंग के सामने बचेन्द्री नौसिखिया थीं।
2. निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए - -
(क) उन्होंने कहा तुम एक
पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना
चाहिए
उत्तर:- उन्होंने कहा, ‘‘तुम
एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो । तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच
जाना चाहिए।’’
(ख) क्या तुम भयभीत थीं
उत्तर:- ’’क्या तुम भयभीत थीं ?’’
(ग) तुमने इतनी बड़ी
जोखिम क्यों ली बचेंद्री
उत्तर:-
‘‘तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री ?’’
3. नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए - -
उदाहरण: हमारे पास एक वाॅकी-टाॅकी था।
टेढ़ी-मेढ़ी
प्रयोग :- नदी के
किनारे टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडिया बनी हुई थीं।
हक्का-बक्का
प्रयोग :- पुलिस
का आदमी लुटेरों की हिम्मत देखकर हक्का-बक्का रह गया।
गहरे-चौड़े
प्रयोग :- गेंद
गहरे-चौड़े नाले में गिर गई ।
आस-पास
प्रयोग :- विद्यालयों
के आस-पास सिगरेट आदि बेचना जुर्म है।
इधर-उधर
प्रयोग :- पुकारे
जाने पर वह इधर-उधर देखने लगा।
लंबे-चौड़े
प्रयोग :- अपने
सामने लंबे-चौड़े पहलवान को देखकर उसकी हालत खराब हो गई।
4. उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए:- -
उदाहरण: अनुकूल - प्रतिकूल
(नियमित, आरोही, विख्यात, निश्चित, सुंदर)
उत्तर :-
नियमित- अनियमित
आरोही- अवरोही
विख्यात- कुख्यात
निश्चित- अ निश्चित
सुंदर- असुन्दर, कुरूप
5. निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए -
जैसेः पुत्र - सुपुत्र
(वास व्यवस्थित कूल गति रोहण रक्षित)
उत्तर :-
वास - सुवास, आवास, प्रवास आदि।
व्यवस्थित - सुव्यवस्थित
कूल - प्रतिकूल, अनुकूल
गति - सद्गति, अधोगति
रोहण - आरोहण
रक्षित - आरक्षित
6 . निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
(क) मैं सुबह तक यह कार्य कर लूँगा।
(ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो
गई।
(ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
(घ) नाघकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।
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