PA-1 GRAMMAR – 7

 कक्षा- 7

PA-1

सूचना : इस कार्य को अपनी व्याकरण की अभ्यास-पुस्तिका में लिख लें।

 

संयुक्ताक्षर                 

परिभाषाः- दो अक्षरों का मेल संयुक्ताक्षर कहलाता है।

 

ध्यान में रखने योग्य बात:-

पूर्व का वर्ण स्वर रहित होने पर उसके बाद आनेवाला वर्ण इस स्वर रहित वर्ण के साथ जोड़कर लिखा जाता है।

 

कुछ संयुक्ताक्षर       किन वर्णो के मेल से बने हैं

क्ष                                     क्+

त्र                                     त् +

ज्ञ                                     ज् +

द्य                                     द् +

श्र                                     श् +

द्व                                     द् +

द्ध                                    द् +

ह्न                                     ह् +

ह्य                                    ह् +

ह्म                                    ह् +

प्र                                     प् +

 

 

 रेफ़ और ऋ का प्रयोग

 

 

1.      र् (स्वर रहित र) अपने बाद वाले वर्ण के शीर्ष पर आता है। जैसे- कर्म, वर्ष, गर्म आदि।

 

2.      र (स्वर युक्त र) से पहले कोई स्वर रहित व्यंजन हो तो र उसके पैरों में इस प्रकार आता है –

प्रथम (प् +++म), क्रम (क् + + म)।

 

3.      ट्  ड्  के साथ र को ट्र ड्र के रूप में लिखा जाता है।

 ट्रक, ट्राम (ट्++क), (ट्+रा+म)

 

4.      श् के साथ र को श्र के रूप में लिखा जाता है। 

 

5.      स्वर रहित वर्ण के बाद ऋ आने पर स्वर रहित वर्ण के चरणों में  ृ के रूप में लिखा जाता है। जैसे पृथ्वी, पृथक, कृति, कृमि आदि।

 

अभ्यास - र् , र और ऋ के प्रयोग वाले पाँच-पाँच शब्द लिखें । 


सूचना : रेफ़ और ऋ का प्रयोग समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक 

करके विडियो  देख सकते हैं -

 रेफ़ और ऋ का प्रयोग > विडियो 


द्वित्व प्रयोग


एक वर्ण का अपने जैसे वर्ण के साथ आना द्वित्व प्रयोग कहलाता है। जैसे - कच्चापक्कागप्प आदि।

 

नियम- 

क् ,च्ट्त्प्वर्ग के दूसरे व चौथे वर्ण का द्वित्व नहीं होता है। अर्थात् ख के साथ ख्घ के साथ घ्छ के साथ छ् आदि का प्रयोग नहीं होता।


     ‘’ वर्ग –           
            ड.।

     ‘’ वर्ग –                       ञ़।  

     ‘’ वर्ग -                           ण।

     ‘’ वर्ग -                         न।

     ‘’ वर्ग -                          म।

 

उदाहरण :


मक्खी (सही शब्द)     :      मख्खी  (नियमानुसार गलत)

गग्घर (सही शब्द)      :      गघ्घर  (नियमानुसार गलत)

 

 

 कि और की का प्रयोग

किका प्रयोग:-


1.   किएक संयोजक (जोड़ने वाला) शब्द है जो मुख्य वाक्य को आश्रित वाक्य के साथ जोड़ने का कार्य करता है। यह पहले वाक्य के अंत में और दूसरे वाक्य के प्रारंभ में लगता है। जैसे –

शिक्षक ने कहा कि एक कविता सुनाओ।

 

2.    कि  का प्रयोग विभाजन के लिए याके स्थान पर भी होता है। जैसे –

तुम डाक-टिकिट संग्रह करते हो कि सिक्के।

 

3.   किका प्रयोग क्रिया (VERB) के बाद ही होता है। जैसे ऊपर दिए गए उदाहरणों में क्रिया कहाऔर करते होके बाद है।

 

कीका प्रयोग:-

1.     संज्ञा या सर्वनाम शब्द के बाद आने वाले अन्य संज्ञा शब्द के बीच की  का प्रयोग होता है। यह दोनों शब्दों को जोड़ने और उनके बीच सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य करता है।

जैसे -

(अ) ताले की चाबी खो गई ।

(यहाँ ताले और चाबी दोनों संज्ञा शब्द हैं)

 

(ब) उसकी किताब मेज पर रखी है।

(यहाँ उस सर्वनाम और मेज संज्ञा शब्द है जिसे कीद्वारा जोड़ा गया है)

 

2.     कीके बाद स्त्रीलिंग शब्द आता है। ऊपर दिए गए उदाहरणों में चाबी और किताब दोनों स्त्रीलिंग शब्द है।

 

याद रखने की बात:-

·       क्रिया (verb) के बाद किलिखा जाता है कीनहीं ।

·       कीके बाद स्त्रीलिंग शब्द का प्रयोग होता है।

 

अभ्यास-कार्य

 

निम्नलिखित वाक्यों में की या कि का प्रयोग करें -

 

1.     कवि ------ कविता सुनकर छात्रों ने बताया ----- यह उन्होंने पहले नहीं सुनी थी।

2.     कुत्ते  ------  बीमारी का इलाज़ कराया गया।

3.     चन्द्रमा द्वारा सूरज ----  परिक्रमा  ----  जाती है या पृथ्वी  ----।

4.     मेयो कॉलेज  ---  स्थापना सन् 1875 में हुई थी।

5.     मेयो संग्रहालय के बारे में कहा जाता है --- किसी स्कूल के पास ऐसा संग्रहालय नहीं है।

6.     हमारे शिक्षक ने कहा  ---  मेयो में पेड़-पौधों  ---  संख्या चार हज़ार से अधिक है।

7.     उसकी अलमारी  ---  चाबी नहीं मिल रही है।

8.     डरने पर दिल  --- धड़कन बढ़ जाती है।

 


वर्ण विच्छेद

 

ध्यान रखें  : - वर्ण विच्छेद से अभिप्राय दिए गए शब्द में प्रयुक्त स्वरों एवं व्यंजनों को अलग-अलग करके बताना। 

 

क्रय             - क् + र् + अ + य् + अ

परीक्षा          - प् + अ + र् + ई + क् + ष् + आ

संबंध           - स् + अ + म् + ब् + अ + न् + ध् + अ

पृथक           - प् + ऋ + थ् + अ  + क् + अ

उद्धार          - उ + द् + ध् + आ + र् + अ

बलवान        - ब् + अ + ल् + अ + व् + आ + न् + अ

ज्ञान             - ज् + ञ्  + आ + न् + अ

विश्राम         - व् + इ + श् + र् + आ + म् + अ

विज्ञान          - व् + इ + ज् + ञ्  + आ + न् + अ

विद्यालय       - व् + इ + द् + आ + ल् + अ + य् + अ

 

सूचना : ये सभी याद करने हैं|

 

 

अनेकार्थी

चपला - चंचल, बिजली, लक्ष्मी।

अंबर - वस्त्र, आकाश।

अचल - स्थिर, पहाड़ ।

अक्षर - वर्ण, परमात्मा, अनश्वर (जो नष्ट न हो)

आदि - प्रारंभ, वगैरह, इत्यादि।

काल - समय, मृत्यु।

घन -  बादल, हथौड़ा, गहरा।

पक्ष -  पंख, पखवाड़ा, तरफ

वार-   प्रहार, दिवस

वर्ण-   रंग, अक्षर, जाति।

विधि- प्रणाली, तरीका, कानून, व्यवस्था।

नग-   रत्न, पर्वत, अदद (संख्यासूचक)

आम- साधारण, एक रसीला फल।

कुल-  वंश, योग, परिवार।

मत -  विचार, वोट, नहीं।

 

 

शुद्ध रूप

कृप्या- कृपया

कवयीत्री-कवयित्री

महनत-मेहनत

उनहे-उन्हें

क्योंकी-क्योंकि

कवी-कवि

आन्नद-आनन्द

नश्ट-नष्ट

पुत्रि -पुत्री

तलाब-तालाब

छमा-क्षमा

उज्जवल-उज्ज्वल

सैना-सेना

अवन्नति-अवनति

पतनी -पत्नी

 

पर्यायवाची 

बाढ़- जलप्लावन, सैलाब, जलप्रलय।

कीचड़- पंक, कीच, कर्दम, गारा ।

नदी-  सरिता, सलिला, तटिनी, तरंगिणी।

बिजली- तड़ित, विद्युत, चपला, दामिनी, कुलिश, अशनि ।

किरण- कर, रश्मि, मयूख, अंशु, मरीचि।

अकाल- दुर्भिक्ष, सूखा, कहल।

वन- अरण्य, कानन, विपिन्न, जंगल।

चाँदनी- चंद्रिका, ज्योत्स्ना, सुधा।

लहर- उर्मि, तरंग, मौज, ऊर्मि, वीचि, हिलोर।

सवेरा- उषाकाल, प्रातः, विहान, सुबह, प्रभात, भोर।


अन्य कार्य कक्षा में करेंगे | 

 

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