जीवनपरिचय:- 1907 की होली के दिन उत्तर प्रदेश
के पफर्रूखाबाद में जन्मीं महादेवी वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई।
विवाह के बाद पढ़ाई कुछ अंतराल से फिर शुरू की। वे मिडिल में पूरे प्रांत में प्रथम
आईं और छात्रवृत्ति भी पाई। यह सिलसिला कई कक्षाओं तक चला। बौद्ध भिक्षुणी बनना
चाहा लेकिन महात्मा गांधी के आह्वान पर सामाजिक कार्यों में जुट गईं। उच्च
शिक्षा के लिए विदेश न जाकर नारी शिक्षा प्रसार में जुट गईं। स्वतंत्रता आंदोलन
में भी भाग लिया। 11 सितंबर 1987 को उनका देहावसान हुआ।
साहित्यिक परिचय:- महादेवी ने छायावाद के चार
प्रमुख रचनाकारों में औरों से भिन्न अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया। महादेवी का
समस्त काव्य वेदनामय है। इनकी कविता का स्वर सबसेे भिन्न और विशिष्ट तो था ही
सर्वथा अपरिचित भी था। इन्होंने साहित्य को बेजोड़ गद्य रचनाओं से भी समृद्ध
किया है। कुल आठ वर्ष की उम्र में बारहमासा जैसी बेजोड़ कविता लिखने
वाली महादेवी की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं - नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत,
दीपशिखा, प्रथम आयाम, अग्निरेखा, यामा और गद्य रचनाएँ हैं.अतीत के चलचित्र,
श्रृंखला की कड़ियाँ, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, मेरा परिवार और चतना के क्षण। महादेवी की रुचि चित्रकला में
भी रही। उनके बनाए चित्र उनकी कई कृतियों में प्रयुक्त किए गए हैं।
पुरस्कार:- उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित
प्रायः सभी प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने 1956 में
उन्हें पद्मभूषण अलंकरण से अलंकृत किया था।
पाठ परिचय:- औरों से बतियाना, औरों को समझाना,
औरों को राह सुझाना तो सब करते ही हैं, कोई सरलता से कर लेता है, कोई थोड़ी कठिनाई
उठाकर, कोई थोड़ी झिझक-संकोच के बाद तो कोई किसी तीसरे की आड़ लेकर। लेकिन इससे कहीं
ज़्यादा कठिन और ज़्यादा श्रमसाध्य होता है अपने आप को समझाना। अपने आप से
बतियाना, अपने आप को सही राह पर बनाए रखने के लिए तैयार करना। अपने आप को आगाह
करना, सचेत करना और सदा चैतन्य बनाए रखना। प्रस्तुत पाठ में कवयित्री अपने आप से
जो अपेक्षाएँ करती हैं, यदि वे पूरी हो जाएँ तो न सिर्फ उसका अपना, बल्कि हम
सभी का कितना भला हो सकता है। चूँकि, अलग-अलग शरीरधाारी होते हुए भी हम हैं तो
प्रकृति की मनुष्य नामक एक ही निर्मिति।
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द्वारा : www.hindiCBSE.com
आभार: एनसीइआरटी (NCERT) Sparsh Part-2 for Class 10 CBSE
अध्याय : मधुर मधुर मेरे दीपक जल