Habeeb Tanveer (1923)
हबीब तनवीर
जीवन परिचय
:- 1923 में छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्मे हबीब तनवीर ने 1944 में नागपुर से
स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात ब्रिटेन की नाटक अकादमी से नाट्य-लेखन का
अध्ययन करने गए और फिर दिल्ली लौटकर पेशेवर नाट्यमंच की स्थापना की।
साहित्यिक परिचय :- नाटककार, कवि,
पत्रकार, नाट्य निर्देशक, अभिनेता जैसे कई रूपों में ख्याति प्राप्त हबीब तनवीर ने
लोकनाट्य के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। कई पुरस्कारों, फेलोशिप और पद्मश्री से सम्मानित हबीब तनवीर के प्रमुख नाटक हैं- आगरा बाज़ार,
चरनदास चोर, देख रहे हैं नैन, हिरमा की अमर कहानी। इन्होंने बसंत ऋतु का सपना, शाजापुर
की शांति बाई, मिट्टी की गाड़ी और मुद्राराक्षस नाटकों का आधुनिक रूपांतर भी किया।
पाठ परिचय :-
अंग्रेज़ इस देश में व्यापारी के भेष में आए थे। शुरू में व्यापार ही करते रहे,
लेकिन उनके इरादे केवल व्यापार करने के नहीं थे। धीरे-धीरे उनकी ईस्ट इंडिया कंपनी ने रियासतों पर कब्ज़ा जमाना शुरू कर दिया। उनकी नीयत उजागर होते ही अंग्रेजों को हिंदुस्तान से खदेड़ने के प्रयास भी शुरू हो गए।
प्रस्तुत पाठ
में एक ऐसे ही जाँबाा के कारनामों का वर्णन है जिसका एकमात्र लक्ष्य था
अंग्रेजों को इस देश से बाहर करना। कंपनी के हुक्मरानों की नींद हराम कर देने
वाला यह दिलेर इतना निडर था कि शेर की माँद में पहुँचकर उससे दो-दो हाथ करने की
मानिंंद कंपनी की बटालियन के खेमे में ही नहीं आ पहुँचा, बल्कि उनके कर्नल पर ऐसा
रौब गालिब किया कि उसके मुँह से भी वे शब्द निकले जो किसी शत्रु या अपराधी के लिए
तो नहीं ही बोले जा सकते थे।
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