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गीत, अगीत, कौन
सुंदर है?
( 1 )
गाकर गीत विरह(दुःख) के तटिनी(नदी)
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को (दुःख कम करने को)
उपलों(किनारों) से
कुछ कहती जाती है।
तट(किनारे) पर एक गुलाब सोचता,
‘देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।’
गा-गाकर बह रही निर्झरी(नदी),
पाटल(गुलाब) मूक(चुपचाप) खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन
सुंदर है?
( 2 )
बैठा शुक(तोता) उस घनी डाल पर
जो खोंते(घोंसले) पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती(गर्मी
देती)।
गाता शुक जब किरण वसंती(वसंत ऋतु में सूर्य की किरण)
छूती अंग पर्ण(पत्ते) से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते स्नेह में सनकर (सराबोर
होकर)।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर(पंख) है।
गीत, अगीत, कौन
सुंदर है?
( 3 )
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ(संध्या) आल्हा
गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा(प्रेमिका) को
घर से यहाँ खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना’(विधाता, प्रभु), यों मन में गुनती(सोचती) है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर(हृदय) है।
गीत, अगीत, कौन
सुंदर है?
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द्वारा :- hindiCBSE.com
आभार: एनसीइआरटी (NCERT) Sparsh Part-1 for Class 9 CBSE