दोहा किसे कहते हैं ?

दोहा कहते हैं - काव्य का एक छंद जो कि मात्राओं पर आधारित होने के कारण मात्रिक छंद कहा जाता है।  इसे दो पंक्तियों में लिखा जाता है और प्रत्येक पंक्ति के दो भाग होते हैं जिसे चरण कहते हैं। एक दोहे में चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण के बाद विराम होता है। विराम यानि रूकना। विराम को दर्शाने के लिए अल्पविराम ( , ) का चिह्न होता है। दूसरे और चौथे चरण का तुकांत होता है।  
 जैसे :-
ऐसी  बाँणी   बोलिये,  मन  का  आपा   खोइ
अपना तन  सीतल   करै, औरन  कौं सुख होइ।।


ऐसी  बाँणी   बोलिये      - एक चरण     (इसमें 13 मात्राएँ होती हैं)
मन  का  आपा खोइ      - दूसरा चरण    (इसमें 11 मात्राएँ होती हैं)
अपना तन  सीतल   करै  - तीसरा चरण   (इसमें 13 मात्राएँ होती हैं)
औरन  कौं सुख होइ      - चौथा चरण     (इसमें 11 मात्राएँ होती हैं)

मात्राओं की गिनती 
हम जानते हैं कि स्वर के प्रयोग से व्यजंन पूर्ण होता है और मात्राओं के लिए हम स्वर का प्रयोग करते हैं। जिस व्यंजन में स्वर नहीं होता वह ‘स्वर रहित’ कहा जाता है। एक स्वर का प्रयोग एक मात्रा और दो स्वरों का प्रयोग दो मात्राएँ गिनी जाती हैं। एक मात्रा को ‘लघु’ और दो मात्राओं को ‘गुरु’ कहते हैं। स्वर संधि के नियम के अनुसार जब एक ही जैसे छोटे-बड़े स्वर आपस में मिलते हैं तो उनका दीर्घ स्वर यानि बड़ी मात्रा वाला स्वर लिखा जाता है। जैसे – इ+ई :- ई

दोहे में बताई गई मात्राओं की गिनती कैसे होगी -
I   = एक मात्रा
S  = दो मात्राएँ।


दोहे की पंक्ति
सी
बाँ
णी
बो
लि
ये,




का
पा
खो


कुल  मात्राएँ
मात्रा की संख्या 
S
S
S
S
S
I
S



13
I
I
S
S
S
S
I

11
13+11= 24
दोहे की पंक्ति
ना
सी
रै,

कौं
सु
हो


मात्रा की संख्या 
I
I
S
I
I
S
I
I
I
S
13
S
I
I
S
1
1
S
I
11
13+11= 24




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   आभार: एनसीइआरटी (NCERT) Sparsh Part-2 for Class 10 CBSE