Prashnottar : Aadminaama
प्रश्न-अभ्यास
(1) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन्न
रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
उत्तर (1):- पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी में निम्नलिखित रूपों
का बखान करती है -
1. आदमी का बादशाही रूप
2. आदमी का मालदारी रूप
3. आदमी का कमजोरी वाला रूप
4. आदमी का स्वादिष्ट भोजन प्राप्त करने वाला रूप
5. आदमी का सूखी रोटियाँ चबाने वाला रूप
(2) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को
परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर(2):- चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक
रूपों में तुलना प्रस्तुत की है -
1. एक तरफ एक आदमी शाही किस्म के ठाट-बाट भोगता देखने में आता है।
- सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ आदमी गरीबी में दिन बिताता दिखाई देता
है। - नकारात्मक रूप
2. एक तरफ आदमी मालामाल देखने में आता है। - सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ कमज़ोर देखने में आता है। - नकारात्मक
रूप
3. एक तरफ स्वादिष्ट भोजन खाता आदमी देखने में आता है। -
सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ सूखी रोटियाँ चबाता आदमी देखने में आता
है। - नकारात्मक रूप
4. एक तरफ धर्मस्थलों में धार्मिक पुस्तकें पढ़ता आदमी देखने में आता
है - सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ धर्मस्थलों पर जूतियाँ चुराता आदमी
देखने में आता है।- नकारात्मक रूप
5. एक तरफ जान न्योछावर करता आदमी देखने में आता है । -
सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ प्राण लेने वाला आदमी देखने में आता
है। - नकारात्मक रूप
6. एक तरफ सभ्य व सम्मानित आदमी देखने में आता है।-
सकारात्मक रूप
दूसरी तरफ बुरे मार्ग पर चलने वाला, बुरा व्यवहार
करने वाला आदमी देखने में आता है - नकारात्मक रूप
(3) ‘आदमीनामा’ शीर्षक कविता के इन अंशो को पढ़कर आपके मन में मनुष्य
के प्रति क्या धारणा बनती है?
उत्तर (3):- ‘आदमीनामा’ शीर्षक कविता के अंशों को पढ़कर हमारे मन में
मनुष्य के प्रति यह धारणा बनती है कि उसके स्वभाव में केवल स्वयं की आवश्यकताओं को
पूरा करना ही है परन्तु कुछ लोग दूसरों का भला चाहने वाले और भला करनेवाले भी होते
हैं। कुछ लोगों को दूसरों की सहायता करके प्रसन्नता का अनुभव होता हैं तो कुछ दूसरों को अपमानित करके खुश होते
हैं। मनुष्य कुछ अच्छे हैं तो कुछ बुरे भी हैं। सत्य तो यह है कि
मनुष्य अपने भाग्य और अपनी परिस्थितियों का गुलाम होता है।
(4) इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर (4):- इस कविता में मनुष्य के विभिन्न रूप दिखाए गए हैं। जीवन
की वास्तविकता का चित्रण करने वाली निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी हैं-
दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
मुफ़लिस-ओ-ग़दा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी
(5) आदमी की प्रवृतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर (5):- ‘आदमीनामा’ कविता के आधार पर आदमी की प्रवृतियाँ
(स्वभाव) भिन्न-भिन्न हैं। संसार में लोग बहुत अच्छे भी मिलते हैं तो
बहुत बुरे लोग भी मिलते हैं। कुछ लोग मस्जिद बनाने, कुरान शरीफ का अर्थ बताने जैसे
सम्मानजनक और प्रेरणा देने वाले कार्य करके जीवन बितानेवाले हैं तो कुछ वहीं
जूतियाँ चुराने जैसे घृणित कार्य करनेवाले भी हैं। कुछ लोग दूसरों के लिए अपनी जान
न्योछावर कर देते हैं तो कुछ जान लेने वाले हैं। कुछ लोगों को दूसरों की सहायता
करके प्रसन्नता का अनुभव होता हैं तो कुछ दूसरों को अपमानित करके खुश होते हैं।
(6) निम्नलिखित अंशों को व्याख्या कीजिए:-
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी और मुफलिस-ओ-गदा है सो है
वो भी आदमी
उत्तर (क):- इस दुनिया में हर तरह का आदमी है। कुछ आदमी बादशाह जैसी
शान और सुविधाओं में जीते हैं तो कुछ गरीबी का जीवन जीते हैं। इस प्रकार आदमी होकर
भी वे एक-दूसरे से विपरीत स्थितियों में जीवन व्यतीत करते हैं।
(ख) अशराफ़ और क़मीने से ले शाह ता वज़ीर ये आदमी ही करते हैं सब क़ारे दिलपज़ीर
उत्तर(ख):- इस संसार में कुछ लोग बहुत ही शरीफ होते हैं तो कुछ लोग
बहुत ही खराब स्वभाव के मिलते हैं। कुछ वजीर के समान जीवन बिताते हैं तो कुछ
बादशाह के समान। कुछ स्वामी होते हैं तो कुछ सेवक होते हैं। ये सभी व्यक्ति बुरे
या अच्छे कार्य किया करते हैं।
(7) निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुन के दौड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर (क):- उपरोक्त पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है कि
आदमी-आदमी की रूचियों और कार्यों में अंतर होता है। मनुष्य अच्छा बनने पर आए तो वह
कुरआन पढ़ने वाला और नमाज अदा करने वाला सच्चा धार्मिक भी बन सकता है और यदि वह
दुष्टता पर आए तो वह जूतियाँ चुराने वाला भी बन सकता है। कुछ लोग बुराई पर नजर
रखने वाले भी होते हैं। इन सभी अच्छे-बुरे कामों को करने वाले आदमी ही होता हैं।
सच्चाई यह है कि मनुष्य के स्वभाव में अच्छाई-बुराई दोनों होते हैं परन्तु इनमें
से वह किस राह चलेगा यह उस पर ही निर्भर करता है।
उत्तर (ख):- उपरोक्त पंक्तियों में निहित व्यंग्य यह है कि
मनुष्य के विभिन्न रूप देखने में आते हैं। एक व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों
को नीचा दिखाने में खुशी पाता है तो दूसरी तरफ कोई किसी को अपनी मदद के लिए
पुकारता है। उसकी पुकार सुनकर उसकी मदद के लिए भी कोई मनुष्य भागा चला आता है। अतः
सच्चाई यह है कि मनुष्य के स्वभाव में अच्छाई-बुराई दोनों होते हैं परन्तु इनमें
से वह किस राह चलेगा यह उस पर ही निर्भर करता है।
(8) निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए-
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगडी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ड) तेग मारना
उत्तर:- (क) टुकड़े चबाना:- मजदूर को दिनरात परिश्रम करके
भी सूखे टुकड़े चबाने पड़ते हैं।
(ख) पगड़ी उतारना:- यहाँ हर कोई मौका मिलते ही दूसरे की
पगड़ी उतारने को तैयार बैठा है।
(ग) मुरीद होना:- महात्माजी की बातें सुनकर लोग तो उनके मुरीद बन गए।
(घ) जान वारना - सैनिक अपने देश पर जान वारने के
लिए सदा तैयार रहता है।
(ङ) तेग मारना - दुश्मनी के चलते पड़ौसी आपस में एक दूसरे पर तेग मारने लगे।
प्रश्न (9):- नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण** कीजिए
और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण इनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)
राज (शासन)
फ़न (कौशल)
फन (साँप का मुँह)
ज़रा (बुढ़ापा)
जरा (थोड़ा)
फ़लक (आकाश)
फलक (लकड़ी का तख़्ता)
** नुक्ते सहित वर्ण का उच्चारण कुछ दबाव के साथ होता है।
*********