PRASHNOTTAR : KAR CHALEN HUM FIDA
अभ्यास-प्रश्न
निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
दीजिएः-
1. क्या इस
गीत की कोई
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तरः यह
गीत सन 1962 के
भारत और चीन
के मध्य हुए
युद्ध की पृष्ठभूमि
में लिखा गया
है।
2. ‘सर हिमालय
का हमने न
झुकने दिया’ इस
पंक्ति में हिमालय
किस बात का
प्रतीक है?
उत्तरः हिमालय को भारतभूमि
रूपी माता के
ताज के समान
माना जाता है।
यह प्रत्येक भारतवासी
के मान-सम्मान
का प्रतीक है। हिमालय का सर
न झुकने देने
का अर्थ है-
भारत का मान-सम्मान कम नहीं
होने देना।यह भारत की आन-बान-शान और स्वाभिमान का प्रतीक है।
3. इस गीत
में धरती को
दुल्हन क्यों कहा गया
है?
उत्तरः भारत
जब कन्या दुल्हन
के रूप में
सजती है तो
उसे आभूषण पहनाएँ
जाते हैं शुभ
की प्रतीक लाल
चुनरी पहनाई जाती
है। जब यु़द्ध
के लिए सैन्य
व खाद्यान्न सामग्री
जुटाने के लिए
धन की आवश्यकता हुई तो भारतीय
नारियों ने अपने
आभूषण भेंट किए।
उनकी इस भेंट
को देखकर ऐसा
लगा जैसे वे
अपने गहनों से
भारत माता का शृंगार कर रही
हों। कवि भारत
माता को दुल्हन
के समान मानते हैं और इस शृंगार को दुल्हन
का शृंगार कहते हैं।
दूसरे रूप में
हम यह भी
कह सकते हैं
कि शहीदों के
खून से धरती
का रंग लाल
हो जाना अपनी
मातृभूमि का दुल्हन
की तरह सजना
है।
4. गीत में ऐसी
क्या खास बात
होती है कि
वे जीवन भर
याद आते हैं?
5. कवि ने ‘साथियों’
संबोधन का प्रयोग
किसके लिए किया
है?
उत्तरः कवि ने
‘साथियों’ संबोधन का प्रयोग
देशवासियों व सैनिकों
के लिए किया
है।
6. कवि ने इस
कविता में किस
काफिले को आगे
बढ़ाते रहने की
बात कही है?
उत्तरः देश की रक्षा के
लिए अपना बलिदान
करने के लिए
सैनिक और देशवासी
सदा तत्पर रहें।
कभी भी यह
क्रम समाप्त न
हो। यहाँ काफिले
से अर्थ प्राणोत्सर्ग
करने के लिए
तैयार लोगों के
समूह से है।
7. इस गीत में
‘सर पर कफन
बाँधना’ किस ओर
संकेत करता है?
उत्तरः सर
पर कफन बाँधना
एक मुहावरा है
जिसका अर्थ है
- मृत्यु के लिए
सदा तैयार रहना।
अपनी मातृभूमि की
सेवा में लगा
सैनिक मृत्यु का
वरण करने के
लिए सदा तैयार
रहता है। उसकी
यही भावना देश की सुरक्षा और
शत्रुओं में भय
पैदा करती है।
निम्नलिखित
का भाव स्पष्ट
कीजिए -
1. साँस थमती गई
नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते
कदम को न
रुकने दिया
उत्तरः एक
वीर सैनिक अपने
आखिरी साँस तक
हार नहीं मानता
है। वह युद्धभूमि
में बहुत कठिन
स्थितियों का सामना
करता है। बर्फीली
पहाड़ियों और विकट
मौसम में साँसे
फूलने लग जाती
है और आॅक्सीजन
के अभाव के
कारण दम भी
घुटने लगता है
पर उनके हौंसले
बुलन्द होते है
वे इन सब
की परवाह नहीं
करते । दुश्मन को मार भगाने
का अटल इरादा
लिए वे आगे
बढ़ते जाते हैं।
प्राणों पर संकट
भी आ जाए
तब भी वीरता
के साथ दुश्मनों का मुकाबला करते
हैं।
2 . खींच दो अपने
खूँ से जमीं
पर लकीर
इस तरफ आने
पाए न रावन
कोई
उत्तरः रामायण काल में
सीता माता की
रक्षा करने के
लिए लक्ष्मण ने
एक रेखा खींची
थी। कोई भी
दुष्ट उस रेखा
को पार नहीं
कर सकता था।
इसका उल्लेख करते
हुए वीरगति को
प्राप्त होने वाले
सैनिक आने वाले
सैनिकों से कहते
हैं कि तुम
भी अपने वीरता
और साहस का
ऐसा उदाहरण प्रस्तुत
करो कि शत्रु
रूपी रावण कभी
भी हमारे देश की ओर आँख
उठाने की हिम्मत
न कर सके;
वह हमारी सीमा
की ओर आने
की के बारे
में भी सोचने
की हिम्मत न
कर सके।
3. छू न पाए
सीता का दामन
कोई
राम भी तुम,
तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
उत्तरः हमारी सीता रूपी
धरती माता को
कोई नुकसान पहुँचाने
की चेष्टा भी
करे तो उसका
संहार करो, उसके
बढ़े हुए हाथों
को तोड़ दो।
ध्यान रहे कि
कोई भी इसे
छू तक नहीं
पाए। सीता माता
की रक्षा के
लिए राम और
लक्ष्मण जिस प्रकार
सदैव प्रस्तुत रहे
हैं उसी प्रकार
से हे सैनिकों
व देशवासियों ! आप
भी सदा तैयार
रहें। धरती माता
के लिए आप
ही राम हैं
और आप ही
लक्ष्मण हैं।
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