प्रश्नोत्तर: वैज्ञानिक चेतना के वाहक:चंद्रशेखर वेंकट रामन्

Prashnottar : Vagyanik Chetana ke vaahak Chandra Shekhar Venkat Raman

प्रश्न-अभ्यास
मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
 उत्तर :- रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक वैज्ञानिक की तरह जिज्ञासु भी थे।

2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
उत्तर :-  समुद्र को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं पहली कि समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है? और दूसरी कि कोई और रंग क्यों नहीं होता है?

3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
उत्तर :-  रामन् के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी इन दो विषयों की सशक्त नींव डाली।

4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
उत्तर :-  रामन् वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के कंपन के पीछे छिपे रहस्य का पता लगाना चाहते थे।

5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
उत्तर :- रामन् के लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी। वे अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्यों में लगाना चाहते थे।

6.  ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर :- रामन् पता लगाना चाहते थे कि समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है अन्य कोई रंग क्यों नहीं होता है। इस सवाल हल खोजते हुए रामन ने प्रकाश की किरणों के प्रभाव की वह खोज की जिसे ‘रामन प्रभाव’ कहा गया। 

7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
उत्तर :-  आइंस्टाइन ने प्रकाश तरंगों के बारे में बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। प्रकाश के इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें फोटॉन नाम दिया।

8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उत्तर :-  रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययन को सहज बनाया।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
उत्तर :-  कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा तो यही थी कि वे अपना सारा जीवन विज्ञान के शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें। इसलिए, कॉलेज के ज़माने से ही उन्होंने शोधकार्यों में रुचि लेना शुरू कर दिया था। उनका मस्तिष्क विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए ही बचपन से ही बेचैन रहता था।  

2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर :-  रामन् ने वाद्ययंत्रों पर की गई अपनी खोजों से इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया हैं।

3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
उत्तर :-  रामन् भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर थे। उस ज़माने के हिसाब से वे एक अत्यंत प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे, जिसके साथ मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाएँ जुड़ी हुई थीं। उन्हें नौकरी करते हुए दस वर्ष बीत चुके थे। ऐसी हालत में सरकारी नौकरी छोड़कर प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी द्वारा प्रस्तावित कम वेतन और कम सुविधाओंवाली कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर की नौकरी में आने का कठिन निर्णय था।

4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर:- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया-
-सन् 1924 में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया।
-सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई।
-सन् 1930 में उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार- भौतिकी में नोबेल पुरस्कार- से सम्मानित किया गया। वे नोबेल पुरस्कार पानेवाले पहले भारतीय वैज्ञानिक थे ।
-सन् 1954 में रामन् को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत-रत्न से सम्मानित किया गया।
-उन्हें और भी कई पुरस्कार मिले, जैसे रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज पदक, फि़लोडेल्फि़या इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राश्ट्रीय लेनिन पुरस्कार आदि।

5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर :-  रामन को अधिकतर पुरस्कार उस समय मिले जब भारत पर अंगेजों का शासन था। इन अंगेजों को भारतीयों से श्रेष्ठ समझा जाता था। ऐसे कठिन दौर में भारतीय वैज्ञानिक रामन् ने सीमित संसाधनों व सुविधाओं के साथ विश्व में भारतीय गौरव का ध्वज लहराया था। उनको मिले विदेशी पुरस्कारों एवं सम्मानों ने भारतीयों में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास  की भावना पैदा की और कुछ कर दिखाने की प्रेरणा प्रदान की।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
उत्तर :-  ‘हठयोग’ योग की एक विधा है जिसमें साधक अपने हठ अर्थात् इच्छा और लगन के बल पर योग-साधना का कार्य करता है। रामन् के प्रारम्भिक शोधों के समय में परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं। वे सरकारी नौकरी के दैनिक कार्यभार निपटाने की कड़ी मेहनत के बाद ‘बहू बाजार’ में स्थित ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस’ की प्रयोगशाला में जाते थे और वहाँ सीमित एवं कामचलाऊ उपकरणों की मदद से अपने शोध में लगे रहते थे। हठयोगी की भाँति अपनी इच्छा और लगन के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के लिए अपने शोधकार्य में लगे रहने के कारण रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है।

2. रामन् की खोज ' रामन् प्रभाव' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :-  रामन ने खोजा कि जब एक रंग की प्रकाश  की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके रंग में परिवर्तन आ जाता है। उन्होंने पाया कि जब एक रंग की प्रकाश की किरण के कण (फोटॉन) किसी तरल या ठोस रवे से टकराते हैं तो अपनी ऊर्जा का कुछ अंश उसे दे देते हैं या उस पदार्थ से उसकी ऊर्जा का अंश पा लेते हैं और इस प्रक्रिया में प्रकाश की किरण के रंग में परिवर्तन आ जाता है। प्रकाश की किरण के रंग में ऊर्जा के कारण परिवर्तन के प्रभाव को ही ‘रामन् प्रभाव’ कहा गया है।

3. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर :-  प्रकाश की किरण के रंग में ऊर्जा के कारण परिवर्तन के प्रभाव ही ‘रामन् प्रभाव’ है। इस खोज से -
1. प्रकाश की प्रकृति के बारे में आइंस्टाइन के विचारों का प्रायोगिक प्रमाण मिल गया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है न कि तरंग के रूप में है। इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना आइंस्टाइन ने बुलेट से की थी और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया था।
2. विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया।
3. आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा।
4. पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी होने लगी।
5. पदार्थों के बारे में यह पता लगाना कि वह किनसे मिलकर बना है तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रुप में निर्माण संभव हो गया।

  
4. देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :-   
1.  रामन् का वैज्ञानिक व्यक्तित्व राष्ट्रीय चेतना से पूर्ण था। वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन का विकास करना चाहते थे। उन्होंने सदैव आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करने का संदेश दिया।

2. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर वैज्ञानिक कार्यों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। उनको मिले विदेशी पुरस्कारों एवं सम्मानों ने भारतीयों में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास की भावना पैदा की और कुछ कर दिखाने की प्रेरणा प्रदान की।

3. उन्हें अपने जीवन में ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में का़फी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए बंगलोर में एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान की स्थापना की जो आज ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से ही जानी जाती है।

4. भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जरनल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका प्रारंभ की। रामन् ने विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे ‘करेंट साइंस’ नामक एक पत्रिका का भी संपादन किया।  

5. अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोध-छात्रों का मार्गदर्शन किया और उन शोध-छात्रों ने भी अपने जीवनकाल में प्रशंसनीय काम किया और उच्च पदों पर प्रतिष्ठित हुए ।  


5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :-  सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से हमें सदैव यह संदेश मिलता है कि जीवन में सुख-सुविधाओं को महत्व न देकर अपनी प्रतिभा का पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए। हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए। अपनी इच्छा और लगन के बल पर सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए तभी सफलता भी मिलती है।


(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर :-  लेखक का यह कथन श्री रामन् के जीवन के उस प्रसंग से जुड़ा हुआ है जब जब सर आशुतोश मुखर्जी ने रामन् से कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया था। उस समय वे वित्त विभाग के ऐसे प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे जिसमें उन्हें मोटी तनख्वाह और सुख-सुविधाएँ प्राप्त थीं परन्तु उन्होंने कम सुविधाओं वाली प्रोफेसर की नौकरी को अपनाया। उनके लिए  सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण अध्ययन, अध्यापन व शोधकार्यों को किया जाना था। 


(ख) हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैंए जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर :-  रामन् प्राकृतिक प्रेमी ही नहीं वरन् उससे जुड़े रहस्यों के प्रति भी जिज्ञासा रखते थे। उनकी यह जिज्ञासा कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है ‘रामन प्रभाव’ की खोज का आधार बनी। लेखक का कहना है कि हमारे आस-पास अनेक प्रकार की ऐसी वस्तुएँ होती हैं जिनके रहस्य अनसुलझे हैं। उन रहस्यों की छानबीन करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टि चाहिए। वे वस्तुएँ भी ऐसे ही वैज्ञानिक दृष्टिवाले व्यक्ति की प्रतीक्षा कर रही हैं।

(ग) यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर :-  ‘हठयोग’ योग की एक विधा है जिसमें साधक अपने हठ अर्थात् इच्छा और लगन के बल पर योग-साधना का कार्य करता है। रामन् के प्रारम्भिक शोधों के समय में परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं। वे सरकारी नौकरी के दैनिक कार्यभार निपटाने की कड़ी मेहनत के बाद ‘बहू बाजार’ में स्थित ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में जाते थे और वहाँ सीमित एवं कामचलाऊ उपकरणों की मदद से अपने शोध में लगे रहते थे। हठयोगी की भाँति अपनी इच्छा और लगन के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने के लिए अपने शोधकार्य में लगे रहने के कारण रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है।

(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए −
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी,  इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस,  फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी,  रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट
1. रामन् का पहला शोध पत्र ------------ में प्रकाशित हुआ था।
उत्तर :-  रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।

2. रामन् की खोज ------------ के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
उत्तर :- रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।

3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ----------------- था।
उत्तर :-  कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस’ था।

4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान --------- नाम से जानी जाती है।
उत्तर :-रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जानी जाती है।

5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ------ का सहारा लिया जाता था।
उत्तर :-  पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ‘इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाता था।


भाषा अध्ययन

1 नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
(क)   प्रमाण  -------------------------.
(ख)   प्रणाम  -------------------------
(ग)   धारणा ------------------------.
(घ)   धारण  -------------------------
(ङ)   पूर्ववर्ती -------------------------
(च)   परवर्ती -------------------------.
(छ)   परिवर्तन -----------------------
(ज)   प्रवर्तन -------------------------

उत्तर :- 
(क)   प्रमाण  − प्रमाण सहित कही गई बात का महत्व होता है।
(ख)   प्रणाम  − उम्र में अपने से बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।
(ग)    धारणा − द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंग्रेजों के प्रति भारतीयों की धारणा ही बदल गई।  
(घ)    धारण  − पुजारी जी स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही आरती करते हैं।
(ङ)    पूर्ववर्ती − रामन् के पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों का ध्यान समुद्र के नीले रंग के रहस्य की ओर नही गया।
(च)   परवर्ती − रामन् की परवर्ती पीढ़ी के वैज्ञानिकों ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
(छ)   परिवर्तन− कम्प्यूटर के आविष्कार ने संचार-क्षेत्र में अपूर्व परिवर्तन ला दिया है।
(ज)   प्रवर्तन − प्राचार्य के प्रवर्तन (कार्य-संचालन) से विद्यालय में सुधार आ गया है।

2. रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए −
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से -------------- हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को -------------- रुप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और ----------- पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और ------------------- दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद ------- में परिवर्तित हो जाता है।

उत्तर :- 
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रुप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।

3. नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है −
उदाहरण : चाऊ तान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
सुख-सुविधा -----------------------------
अच्छा-खासा -----------------------------
प्रचार-प्रसार  ---------------------
आस-पास ----------------------------

उत्तर :- 
सुख-सुविधा :- सुख-सविधा से पूर्ण जीवन विद्यार्थी को आलसी बना देता है।
अच्छा-खासा :- मित्रों ने उसे अच्छा-खासा मूर्ख बनाया था।
प्रचार-प्रसार :-  हमें वैज्ञानिक दृष्टि के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करना चाहिए।
आस-पास :-   हमारे आस-पास अनसुलझे रहस्यों से भरी दुनिया है। 


4. प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए −
            अनुस्वार                        अनुनासिक
(क)   अंदर                    (क)   ढूँढ़ते
उत्तर :-      (क)   सन्देश                  (क)   चिड़ियाँ
(ख)   पतंग                    (ख)  कहाँ
(ग)    कंधा                    (ग)  हँस
(घ)    गंगा                    (घ)  पहुँच
(ङ)    नीलकंठ                 (ङ) चाबियाँ

5. पाठ में निम्नलिखित विशिश्ट भाशा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पश्ट कीजिए −
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखनाए अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह

उत्तर :-

1. घंटो खोए रहना :- रामन् अपने प्रयोगों में घंटो खोए रहते थे।
2. स्वाभाविक रुझान बनाए रखना :-  हमें अपनी रूचिकर विषयों के प्रति स्वाभाविक रुझान बनाए चाहिए।
3. अच्छा खासा काम किया :- सुभा चन्द्र बोस ने देश की स्वतन्त्रता के लिए अच्छा-खासा काम किया।
4. हिम्मत का काम था :- आरती साहा द्वारा इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करना बहुत हिम्मत का काम था।
5. सटीक जानकारी :- गूगल पर मिलनेवाली सारी जानकारियाँ सटीक नहीं होती हैं।
6. काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए :-  मयूर स्कूल के छात्रों ने काफी ऊँचे अंक हासिल किए।
7. कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया :- टाटा समूह ने अपने व्यापार को कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया है।
8. मोटी तनख्वाह :- मोटी तनख्वाह पाना और आराम से जीवन बिताना - यह सरकारी नौकरों की जीवन पद्धति हो गई है। 

6. पाठ के आधार पर मिलान कीजिए −
नीला        कामचलाऊ
पिता         रव
तैनाती       भारतीय वाद्ययंत्र
उपकरण      वैज्ञानिक रहस्य
घटिया       समुद्र
फोटॉन       नींव
भेदन        कलकत्ता

उत्तर :- 
नीला  समुद्र
पिता   नींव
तैनाती कलकत्ता
उपकरण कामचलाऊ
घटिया भारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉन रव
भेदन वैज्ञानिक

7. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर :- 
पाठ में आए रंगों के नाम − बैंजनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
दस रंगों के नाम – गुलाबी, भूरा, काला, सफेद, स्लेटी, कत्थई, चितकबरा, खाकी, सुनहरा, फ़िरोजी ।


8. नीचे दिए गए उदाहरण ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण :- उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।

उत्तर :- 
1.  हनुमान के कारण ही राम को सीता का पता लगा। 
2.  उस लड़के ने ही मोर की जान बचाई।
3.  एवरेस्ट अभियान का एक मजबूत अग्रिम दल बहुत पहले ही चला गया था ।
4.  नीम का वह पेड़ ही पक्षियों का बसेरा हुआ करता था।
5.  इस कक्षा में गणेश ही श्रेष्ठ तैराक है।