अंतोन चेखव
(1860-1904)
जीवन परिचय :- दक्षिणी रूस के तगनोर नगर में
1860 में जन्मे अंतोन चेखव ने शिक्षा काल में ही कहानियाँ लिखना आरंभ कर दिया था। उन्नीसवीं
सदी का नौवाँ दशक रूस के लिए एक कठिन समय था। यह वह समय था जब आज़ाद खयाल होने से ही
लोग शासन के दमन का शिकार हो जाया करते थे। ऐसे समय में चेखव ने उन मौकापरस्त लोगों
को बेनकाब करती कहानियाँ लिखीं जिनके लिए पैसा और पद ही सब कुछ था।
चेखव सारे संसार के चहेते लेखक माने
जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इनकी नार में सत्य ही सर्वोपरि रहा। सत्य के
प्रति आस्था और निष्ठा, यही चेखव की धरोहर है।
साहित्यिक परिचय:- चेखव की प्रमुख कहानियाँ हैं- गिरगिट, क्लर्क की मौत, वान्का, तितली, एक कलाकार
की कहानी, घोंघा, इओनिज, रोमांस, दुलहन। प्रसिद्ध नाटक हैं- वाल्या मामा, तीन बहनें, सीगल और चेरी का बगीचा।
पाठ परिचय :- अच्छी शासन व्यवस्था
वही होती है जो समता पर चलती है। सबको एक दृष्टि से देखती है। अन्यायी और उसके अन्याय
को न्याय के तरााू पर ही तौलती है। ऐसी शासन व्यवस्था जन-जन में कानून के प्रति आदर
और समर्पण का भाव जगाती है। निर्भयता की भावना भी पैदा करती है। ऐसी शासन व्यवस्था
कायम तभी हो सकती है जब शासन की बागडोर सँभालने वाले पक्षपात किए बिना, अपने अधिकारों
और कर्तव्यों का पालन करें। जब वे इस कसौटी पर खरे नहीं उतरते तब देश में अराजकता का
साम्राज्य स्थापित होते देर नहीं लगती।
1884 में लिखी गई प्रस्तुत कहानी में
रूस के महान लेखक ने एक ऐसे अवसर का वर्णन किया है जब जारशाही शासन चापलूसों, भाई-भतीजावाद
के पोषक अधिकारियों के भरोसे चल रहा था। नतीजा यह था कि वे कानून के या आम आदमी के
पक्ष में ऐसी प़्ाफरियाद का भी न्यायोचित प़्ौफसला नहीं कर पाते थे, जिसमें दोषी कोई
मनुष्य नहीं बल्कि वहशी कुत्ता ही क्यों न हो? संभवत: ऐसी शासन व्यवस्था के लिए ही
संत कवि तुलसीदास ने कभी कहा होगा, ‘समरथ को नहीं दोष गुसाई’।
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