shaktishalee gantantra ke liye
matdaan anivaarya hona chahiye
मान्यवर, शक्तिशाली गणतंत्र के
लिए मतदान अनिवार्य होना चाहिए मैं सदन के इस विचार से सहमत हूँ।
मान्यवर, गणतंत्र का
शक्तिशाली होना जनता में अपने शासनाधिकारियों को चुनने की आजादी होने पर
निर्भर करता है और इसके लिए मतदान अनिवार्य है। सच तो यह कि मतदान ही वह विकल्प है
जो जनता को शक्ति सौंपता है कि वह अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करे और उन्हें शासन-तंत्र
में स्थान दे।
मान्यवर, जिस प्रकार पाँचों
अंगुलियाँ एक-सी नहीं होती उसी प्रकार से जनता में भी विभिन्न स्वभाववाले लोग होते
हैं। कुछ अच्छे होतें हैं तो कुछ बुरे। पर जो लोग बुद्धिमान होते हैं,
जिनमें कुछ कर गुजरने की भावना होती है, वे ही जनता के नेता बन पाते हैं या
यों भी कह कह सकते हैं कि जनता जिन लोगों की योग्यता के प्रति विश्वास
प्रदर्शित करती है वे ही शासन-तंत्र में स्थान पाते हैं। जनता को मूर्ख
बनाना आसान नहीं होता क्योंकि गणतंत्र में एक पार्टी का नेता और उसके लोग, दूसरी
पार्टी के नेता और उसके लोगों द्वारा कही गई बातों और किए गए वादों का खंडन कर
अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहेगा और इसी कारण से जनता को सही निर्णय करने में
आसानी हो जाती है। चुनाव में जनता की भागीदारी हो; जनता अपने निर्णय के अनुसार
अपना प्रतिनिधि शासन में भेजे इसके लिए मतदान अनिवार्य है।
मान्यवर, मेरे विपक्षी वक्ताओं
को यह नहीं भूलना चाहिए कि समस्या लोगों के आलस्यवश या लापरवाहीवश मतदान का प्रयोग
नहीं किए जाने की है यदि मतदान अनिवार्य हो जाता है तो 18 साल से ऊपर की आयु के
व्यक्ति मतदान प्रक्रिया में भाग लेकर गणतंत्र को शक्तिशाली बनाने का कार्य करेंगे।
मान्यवर, मेरे विपक्षी वक्ताओं
को स्मरण रखना चाहिए कि मतदान ही वह प्रक्रिया है जिसकी सहायता से शासन के लिए
चुने गए प्रतिनिधियों की निरंकुशता नियंत्रित रहती है क्योंकि वे अपनी जनता
के प्रति उत्तरदायी रहते हैं। नेता देश के महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।
हमारे समाज का संचालन हमारे नेताओं द्वारा ही किया जाता है। अगर नेता भ्रष्ट होंगे
तो फिर देश का क्या हाल होगा। इस कारण नेताओं का चुनाव जनता द्वारा होना चाहिए।
इसके लिए मतदान आवश्यक है। नेता ही देश की बागडोर संभाले हुए हैं। जैसा नेता
वैसा देश। जनता जैसा नेता चुनेगी देश भी वैसा ही बनेगा और जैसी जनता होगी नेता भी
वैसा ही होगा। देश के गणतंत्र को मजबूत करने में जनता की भूमिका मुख्य होती
है और यह गणतंत्र में मतदान से ही हो पाता है। इसलिए मैं यही कहूँगा कि शक्तिशाली
गणतंत्र के लिए मतदान अनिवार्य होना चाहिए। ||धन्यवाद||
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शक्तिशाली गणतंत्र के लिए
मतदान अनिवार्य होना चाहिए। - विपक्ष
आदरणीय अध्यक्ष महोदय,
आज की वाद-विवाद प्रतियोगिता का
विषय है - शक्तिशाली गणतंत्र के लिए मतदान अनिवार्य होना चाहिए - मैं सदन के
इस विचार से सहमत नहीं हूँ।
मान्यवर, क्या गणतंत्र तभी
शक्तिशाली होता है जब मतदान अनिवार्य होता है ? क्या मतदान की
अनिवार्य नहीं होने की स्थिति में गणतंत्र शक्तिशाली नहीं रहेगा ? क्या
मतदान ही वह एकमात्र उपाय है जिससे गणतंत्र बनता है? मानाकि
प्रजा के द्वारा प्रजा के लिए प्रजा का शासन ही ‘गणतंत्र की बुनियाद’ है पर
मतदान ही वह प्रक्रिया है जिससे गणतंत्र शक्तिशाली बनता है - यह कहना
पूर्णतः गलत है।
मान्यवर, मैं अपने विपक्षी
वक्ताओं से पूछना चाहता हूँ कि क्या भ्रष्टाचार को जड़ से हटाने के लिए मतदान होना
सही होगा; क्या कसाब को फांसी देने के लिए मतदान होना चाहिए; क्या बलात्कार, खून,
चोरी आदि के आरोपी को दंड देने के लिए मतदान होना चाहिए। फिर, मेरे विपक्षी वक्ता
यदि कहें कि शक्तिशाली गणतंत्र के लिए मतदान अनिवार्य होना चाहिए तो बात समझ
में नहीं आती। सच्चाई तो यह है कि शक्तिशाली गणतंत्र के लिए आवश्यक है
जनता का चऱित्रवान होना और गणतंत्र के तीनों अंगो - न्यायपालिका, कार्यपालिका व
व्यवस्थापिका का सही तरीके से कार्य करना। जिस शासन प्रणाली की न्याय-व्यवस्था
मजबूत नहीं होगी वहाँ अपराधों की संख्या बढ़ेगी, जनता मनमाना व्यवहार करेगी। ऐसी
स्थिति में किसी भी प्रकार का मतदान वहाँ की व्यवस्था को ठीक नहीं कर सकेगा।
मान्यवर, यदि यह का जाए कि
मतदान की आवश्यकता नहीं है तो बिल्कुल ही गलत बात होगी। मतदान का अपना महत्व है।
पर मतदान को वह एकमात्र साधन मान लेना जिससे गणतंत्र शक्तिशाली बनता है मेरी राय
में गलत है।
मान्यवर, यदि हम भारत की बात
करें जोकि एक गणतंत्र देश है तो क्या यहाँ कि मतदान प्रणाली में कोई दोष नहीं है ?
क्या आज भी बूथ कैपचरिंग जैसी घटनाएँ नहीं होती ? क्या आज भी धर्म, जाति, लोभ,
लालच के नाम पर वोटों का बँटवारा नहीं होता? क्या आज भी परिवर्तन के तो सब्जबाग
दिखाकर जनता को गुमराह करके वोटों की राजनीति नहीं खेली जाती? मान्यवर, जब मतदान
प्रणाली दोषों से भरी हो तो वह गणतंत्र को शक्तिशाली किस प्रकार बना सकती है ?
मान्यवर, जनता में सौन्दर्यबोध,
शक्तिबोध और कर्तव्यबोध होता है तो गणतंत्र शक्तिशाली होता है; जनता
में परोपकार, सहयोग, समानता, भाईचारे और आदर की भावना होती है तो गणतंत्र
शक्तिशाली होता है; जनता में चरित्र, ज्ञान, प्रेम का प्रसार होता है तो
गणतंत्र शक्तिशाली होता है। मान्यवर, मतदान की अनिवार्यता गणतंत्र को
शक्तिशाली नहीं बनाती।
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