प्रसंग : शैतान, शाहेरुम

शैतान :- अंग्रेजी के कवि जॉन मिल्टन ने पेरेडाइस लॉस्टनामक काव्य लिखा है। इसमें परमेश्वर का सेनापतिल्यूसिफरहै। इसे अहंकार हो जाता है कि वह भी परमात्मा के समान शक्तिशाली है इसलिए परमात्मा के विरुद्ध विद्रोह करता है और शैतान बन जाता है। परमात्मा उसे कड़ा दंड देते हैं कि उसे अंतहीन अग्नि के कुंड वाले नरक में डाल देते हैं। इस कहानी से यही पता लगता है कि अहंकार व्यक्ति का नाश कर देता है।




अंतहीन अग्नि का कुंड
  

शाहेरुम :- शाह--रुम अर्थात् रुम (तुर्की) नामक स्थान का बादशाह। एक दिन कुरान की आयत पढ़ते हुए इस बादशाह में भी यह अहंकार  पैदा हुआ कि वह भी परमात्मा के समान किसी के भी जीवन के कष्टों को दूर कर सकता है और किसी का भी जीवन कष्टों से भर सकता है और इस कारण से वह भी परमात्मा के समान शक्तियों का स्वामी हैं। इस प्रभाव से उसका शासन कु-शासन में बदल गया। कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा। एक दिन वह शिकार पर गया और वहाँ उसने एक सुनहरा हिरण देखा। हिरण को जिन्दा पकड़ने की इच्छा से अपना घोड़ा उसके पीछे दौड़ा दिया। एक स्थान पर पहुँचकर हिरण उसकी आँखों से ओझल हो गया। शाहेरुम अपने दल से बिछुड़ कर दूसरे बादशाह की सीमा में पहुँच गया था। वहाँ डाकुओं द्वारा काफिलों (विभिन्न समूह) पर हमला करके उन्हें लूट लिया जाता था। शाहेरुम को भी डाकू समझा गया और शाही आदेश से उसके दोनों हाथ काट दिए गए। अपने दोनों हाथ कटे होने के कारण भीख माँगकर जीवन बिताने लगा। परमात्मा ने उसे यह सजा दी थी। इस प्रकार उसका अहंकार समाप्त हुआ कि वह परमात्मा के समान शक्तिशाली है और किसी के जीवन को भी सुख या दुःख से भर सकता है।